वीणा


मुस्कान ने उसकी 
मेरा चैन छिना है...
तरसती हैं  निगाहें जिसके दीदार को
उसका नाम वीना है...

वीणा सी मधुरता 
उसकी बोली में समाई है...
आँखों को करार आया  है 
जबसे उनसे नज़र मिलाई है...

अब उसकी शहद सी बोली को
जाम बना के पीना है...
मै कायल हूं उस अप्सरा का
जिसका नाम वीना  है...

बेशुमार  प्यार उस पर 
लुटाने को जी चाहता है...
दिन हो यार रात
बस वीना का ख्याल ही आता है...

कोई ऐसी वैसी नही
वो तो कीमती नगीना है...
क्या मोल लगाऊं उसका
वो तो साक्षात सरस्वती कि वीना है...

@kavi mr ravi









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