जो तुमने मुझसे किया...
बस दिया हि दिया मुझे
ना कभी मुझसे कुछ लिया...
लोभ लालच तुम्हारे प्रेम मे
कभी ना मुझे नज़र आया...
कितनी निस्वार्थता से
तुमने ये रिश्ता निभाया...
ये केसा प्रेम था जिसमे
पैसे और गिफ्ट का जिक्र ना हुआ...
कोई लम्हा नही ऐसा
जिसने मेरे दिल को ना छुआ...
मेरे ख्वाहिश के खातिर तुमने
सब कुछ सह लिया...
कभी जवाब नही दिया तुमने
चाहे मैने कुछ भी कह लिया...
मेरे दिये हर दर्द को
तुमने मुस्कुरा के झेला है...
प्रेम का खेल मेरे यार
तुमने निस्वार्थ खेला है...
यादे दी मुझे तुमने यार
सिर्फ मीठी खट्टी...
मेरे हर जख्म पर तुमने हि की
मरहम पट्टी...
जब - जब भी मै
आंसू बहा रहा था...
हर बार मुझे
तेरे कांधे का सहारा था...
क्या तुलना करु
तेरी मुस्कान की किसी से...
बस इतना कहूंगा
मेरी सांसे चलती है इसी से...
तुझसे मिलना तो
पूरा दिन तरोताज़ा कर देता है...
तेरा साथ तो
मेरा हर जख्म भर देता है...
बस इतना ही कहूँगा
तु पूरे ब्रह्माण्ड मे सबसे जुदा है...
कैसे ना पूजु मे तुझे
मेरे लिए तु ही मेरा खुदा है...
@Kavi Mr ravi
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