अभी अभी मुझे
चांद से भी हसीन कोई दिखा है...
पता चला
उसका नाम राधिका है...
राधिका नाम जब से सुना है
तब से ही जगा हूं...
ऐसा असर हुआ उसके दीदार का
खुद को श्याम समझने लगा हूं...
नाम से ही राधिका नही
सच में वो तो राधा है...
कोमल है वो फूलो सी
चमक चहरे पर सूरज से ज्यादा है...
जब से देखा है उसको
ना सोया ना चैन से लेटा हूं...
उसको राधा और
खुद को श्याम समझ बैठा हूं...
अब तो मेरी हर किताब के पन्ने पर
सिर्फ उसका ही नाम लिखा है...
मेरा स्लेबस और मेरी डिग्री
अब बस राधिका है...
एहसास उसका है सिर्फ
महसूस नही होती अब कोई तकलीफ है...
राधिका तो कीमती है उतनी
जितनी नही होती सीप है...
कितना समझाया दिल को
पर ख्याल उसका कहां हटता है...
डूबा रहता हूं ख्यालों में उसके
मेरा रोम- रोम राधिका नाम रटता है...
@रवि जांगिड़ (Kavi Mr Ravi)
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