श्रीमान छोटे😁😁हास्य कविता

श्री मान छोटे हास्य कविता


एक थे हमारे
श्रीमान जी छोटे....
1आंख सुजवाकर हाथ पांव छिलवाकर
एक दिन घर लौटे....

देखकर छोटे को
पत्नी घबराई...
और छोटे के पास
दौड़ी दौड़ी आई....

भर ली अपने छोटे की उसने बाथ...
और बोली आपको क्या हुआ प्राणनाथ....

मेरी जान, मेरी किस्मत थी फूटी...
एक औरत ने ठोक दी स्कूटी....
रुकी नही वो
तुरन्त भाग छूटी....

माना आपका है इसमें
नही कोई खोट....
लेकिन आप कमसे कम
नंबर तो करते नोट....

मत बनो इतना तो भूलिया...
थोड़ा तो याद होगा उसका हुलिया....

दर्द के कारण मेरा 
ध्यान हो गया भंग....
नही देख पाया नम्बर
और स्कूटी का रंग....

पर वो थी बहुत गोरी
और सुनहरे बालों वाली...
पहन रखा था उसने सफेद
सूट ओर चुन्नी थी काली...

कानो में सोने की बाली थी झक्कास....
काला तिल था उसके होंटो के पास....

फिर क्या था ये सुनते ही
श्रीमति जी पहेली बूझ गयी...
जो ठीक थी छोटे की
वो दूसरी आँख भी सूज गयी...

By-kavi Mr Ravi(Ravi jangid)


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