बिजली का बिल😁😁😂हास्य कविता

         बिजली का बिल हास्य कविता 


  kavi Mr Ravi


जेब मे पैसा नही एक....
बिजली के बिल आते अनेक....

सोचता हूँ बिजली हटवा दूँ....
मोबाइल का कनेक्शन कटवा दूँ.....

बीवी मारे ताने....
बिल मारे निशाने....

जेब मे पैसा नही एक...
खर्चे होते अनेक....

बीवी जन्म दिन पर काटे केक....
बेकरी वाले के बिल आते अनेक ....

तरह तरह के बिल आते हैं  ....
सेविंग के पैसे तक सफ़ा हो जाते हैं....

जितनी मेरी कमाई नही होती....

उससे ज्यादा खर्च करती है

बीवी के चहरे की लीपा पोती....

बीवी बोलती है बिल जमा कराइये ....
बच्चे बोलते हैं sony की LED चाहिये...

जेब मे पैसा नही एक ....
बीवी ओर बच्चों के नखरे अनेक....

कमा कमा के हो गए हम काले crow.....
वाइफ करवा रही faicial ओर eye brow...

बिजली वाले आते हैं
कनेक्शन काट लर चले जाते हैं

बीवी बोलती है कुछ कमाइए...
हम बोले तो आप मायके जाइये ....
हमे न सताइये ....
साथ में बच्चों को भी ले जाइए....

हमारा खर्चा उठाने से डरते हो...
न जाने कितना खाना चरते हो...

बीवी के सुनकर मसालेदार ताने....
कितने ही पहुंच गए पागल खाने....

जब लगती है सैलरी आने....
वो आती है हमे मनाने....
बोलती है जेब मे कितने हैं आने ...
देदो सब बच्चों के लिए कपड़े हैं लाने...

देखो न गायब हो गई मेरे गालो की लाली...
जुल्फे हो गई सफेद नही रही काली....
थोड़े पैसे  देदो
करवा लुंगी डाई और cutting v शेप वाली...

बिल और बीवी ने मेरी खटिया खड़ी कर डाली....
छा रही है मेरी जेब मे कंगाली.....

जब से लगाया है बीवी से दिल
जिंदगी हो गयी मुश्किल
थम नही रहा बिजली औऱ
बीवी के मेकअप का बिल

बीवी चालीस में भी लगती है अठारा
और हम हो गए हमारी गाड़ी से भी खटारा..

हर आदमी अब बीवी ओर बि

जली के खर्चे से डरता है...

अक्सर अकेले में 

दीवारों से सिर फोडा करता है...

by-Ravi jangid

  ये कविता मेने 8 th class (2006)
  में लिखी थी पहली poem


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