अ-अब भी माँ तेरा आँचल याद आता है ...
आ-आकर जैसे तेरा हाथ मुझे सहलाता है...
इ-इक नज़र जो मेरी तुझ पर पड़ती है...
ई-ईश्वर की कसम मेरी उम्र उतना ही बढ़ती है...
उ-उतार देती है तेरी मुस्कान मेरी हर नज़र....
ऊ-ऊपर है तेरा साया तो ओर क्या कसर....
ऋ-ऋण इतना है तेरा मुझ पर ए मेरी प्यारी माता....
ए-एक मै ही नही ये तो खुद ख़ुदा नही चुका पाता...
ऐ- ऐनक बिना तुझे दिखता नही तू ऐसा कहती है....
ओ-ओझल हो जाऊं तो ऐनक बिन पहचान लेती है...
औ-औरत नही माँ तुम देवी से बढ़कर स्वरूप हो
अं-अंधेरे में उजाला,ठंड में सुनहरी धूप हो....
by-रवि जाँगिड़ s/o सीताराम जाँगिड़
Very nice ji
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