हिंदी के स्वरों से माँ के गुणों का बखान(कविता)

अ-अब भी माँ तेरा आँचल याद आता है ...
आ-आकर जैसे तेरा हाथ मुझे सहलाता है...

इ-इक नज़र जो मेरी तुझ पर पड़ती है...
ई-ईश्वर की कसम मेरी उम्र उतना ही बढ़ती है...

उ-उतार देती है तेरी मुस्कान मेरी हर नज़र....
ऊ-ऊपर है तेरा साया तो ओर क्या कसर....

ऋ-ऋण इतना है तेरा मुझ पर ए मेरी प्यारी माता....
ए-एक मै ही नही ये तो खुद ख़ुदा नही चुका पाता...

ऐ- ऐनक बिना तुझे दिखता नही तू ऐसा कहती है....
ओ-ओझल हो जाऊं तो ऐनक बिन पहचान लेती है...

औ-औरत नही माँ तुम देवी से बढ़कर स्वरूप हो
अं-अंधेरे में उजाला,ठंड में सुनहरी धूप हो....

by-रवि जाँगिड़ s/o सीताराम जाँगिड़


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