"अपने" रिश्ते पर आधारित कविता✍️

                    kavi mister ravi

अपना ही काम आए मुसीबत, गैर देखे तमाशा ।
खून के रिश्ते करके तारतार,गैर से रखत आशा ।।

गैर से रखत आशा, गैर अक्सर दे देते  दगा ।
जहाँ मुँह फेर लेत गैर,वही काम आते सगा।।

कह कवि रवि भाई ,फिजूल में जमा करत हो भीड़ ।
तिनका तिनका अलग हो,कमजोर पड़ जात नीड ।।

by-Ravi jangid


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