"रिश्ते" poem by-रवि जांगिड़

रिश्ता वह फूल है
जो पूरे संसार को महका सकता है।

दुनियाँ में रिश्ते बनाना जितना सरल है
यारों उसे निभाना उतना ही मुश्किल।

रिश्तों को प्यार से सींचना होता है
वरना रिश्ते फूलों की तरह मुरझाने लगते हैं।
और ये तो आप भी जानते हैं कि मुरझे हुए फूल की कोई कदर नही होती वे पैरों तले कुचले जाते हैं।

अगर रिश्तों में दरार आजाये ना दोस्तों
तो दुनियाँ उन दरारों में से झांकने लगती है।
तो कोशिश ये रहे कि रिश्तों में दरार न आ पाए ताकि दुनियाँ को तमाशा देखना नसीब ना हो।

रिश्तों में द्वेष ,ईर्ष्या, शंका दीमक के समान होती हैं
ये रिश्तों को इतना खोखला बना देती हैं कि रिश्तों के आशियाने दूसरों की फूंक से ही उजड़ जाते हैं।

रिश्तों में झुकना रामबाण इलाज है
यदि दो पक्षों में से कोई एक झुक जाए तो शायद ये महाभारत हो ही ना।
और ये तो आप भी जा ते हैं की जो पेड़ झुक सकता है वो बड़े बड़े तुफानो में भी नही टूटता है।

रिश्तों में कड़वाहट आने पर हम आपस मे जलने लगते हैं।
और ये तो आप भी जानते है कि लोग जले पर ही नमक छिड़कते हैं।

रिश्तों में दरार यारो उस चोट के समान है जिसका घाव तो भर जाता है लेकिन निशान नही जाता है।

इसलिए दोस्तों रिश्तों में द्वेष , ईर्ष्या, शंका की चींटियां न लगने दें।
रिश्तों में प्यार का छिड़काव करें ताकि रिश्तों के फूल कभी मुरझा न सकें

by-Ravi jangid


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