संस्कृति हास्य कविता by-Ravi jangid


एक छोरा - छोकरी थे एक पेड़ के नीचे...
छोकरी थी छोकरे की बाहों मे आँखे मीचे...

ये देख बोला पड़ा वहाँ गुजर रहा एक डोकरा...
क्या यही हमारी संस्कृति है बता रे छोकरा....

बाबा शायद हो गयी है आपकी आँखों  को क्षति...
ये आपकी संस्कृति नही ये तो है हमारी जागृति...

ये तो मेरी डॉक्टर है ओर मै हूँ इसका रोगी...
ध्यान से ढूंढो बाबा
आपकी संस्कृति भी किसी दूसरे पेड़ के नीचे ही होगी...
By- kavi mr Ravi


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