ऐसा है मेरा यार

तू मुझे रुलाना नही चाहती है
तो फिर रुलाती क्यूं है?
तू मुझसे नफरत करती है
तो फिर बाहों में सुलाती क्यूं है?
तू मुझसे दूर जाना चाहती है
तो फिर मेरे सपनों में आती क्यूं है?
तुझे फिक्र ही नही मेरी
तो फिर प्यार जताती क्यूं है?
तू भूला देना चाहती है मुझे
तो फिर मेरे बारे में सोचती क्यूं है?
तुझे नही मेरी खेरियत
तो फिर मेरे आंसू पोंछती क्यूं है?
जब मैं हूँ ही नही तेरे दिल में
तो मेरी इतनी फिक्र क्यूं है?
जिसे भुला चुकी हो
तो उसका जुबां पर जिक्र क्यूं है?
By-Ravi jangid

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