दिलदार दादाजी हास्य कविता written by Ravi jangid


@Ravi jangid

चिंकी के दादा जी के सामने रखा था बादाम से भरा कटोरा आधा.....
उसे देख चिंकी बोली क्या मैं बादाम खा लूँ dear दादा....

चिंकी ये बाते पूछने की नही होती....
खा लो तुम हो मेरी प्यारी पोती....

चिंकी ने बड़े चाव से बादामों को खाया...
तभी एक प्रश्न उसके दिमाग मे आया....

दादा जी ये बादाम आपने क्यों नही खाई....
तब दादा ने एक राज़ की बात बताई...

चिंकी बेटा आपने पूछी है एकदम सही बात...
कैसे खाता में ये कड़क बादाम मेरे नही है दाँत...

जब आप बादाम नही खा पाते....
तो क्यों बादाम हो आप लाते....

तब दादा ने बड़े इत्मीनान  से चिंकी से बोला....
बेटा इन बादामों पर चढ़ा था चॉकलेट का गोला...

मुँह में चूस गया में इन पर रखा चॉकलेट का गोला...
ओर बची बादाम कटोरे में डाल दी दादा ने यूँ बोला...

सुन के चिंकी रह गयी हक्की बक्की....
कितने प्यारे हैं उसके दादा she is so luckey...
😊😊😊😊😊☺️




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