kavi Mr Ravi
इम्तिहान--
लेले ए जिंदगी
तू जितने इम्तिहान लेगी...
सह लूंगा दर्द सारे
कभी तो खुशियों के पल देगी..
तू गिरा ही सकती है
तो गिरा ले मुझे बार- बार...
मैं उठूंगा लड़खड़ाकर चाहें चलूंगा
पर पहुंच जाऊँगा अपने द्वार...
तू दूर कर सकती है मुझसे
मेरे अपनो को और मेरे घोंसले को....
तू तोड़ सकती है मुझे
पर हिम्मत नही तोड़ सके मेरे होंसले को. .
ए जिंदगी तू सोचती है की
मैं साबुन के बुलबुले की तरह फट जाऊंगा..
मैं वो बुजदिल नही जो तुझसे हार मानकर
ट्रेन के नीचे आकर कट जाऊंगा...
तू बरपा जितना बरपा सकती है मुझ पर कहर...
मैं नही टूट सकता इतना के खाके मर जाऊँ जहर...
मैं वो कागज का टुकड़ा नही जो
पानी मे भीग कर गल जाँऊ....
कभी टूटूंगा नही इतना के
तेल छिड़कर जल जाऊँ......
पंगा लेना नही ए जिंदगी दोबारा
मुझसे भूल कर....
मैं इतना कमजोर नही की
मर जाऊँ फांसी के फंदे पर झूलकर...
मौत मुझे अपना बना ले
ये मेरे हाथ की बात नही....
पर तु मुझे मौत के आगे झुका दे
ए जिंदगी ये तेरी औकात नही...
मैं वो हूँ जो तुझसे ख़ौफ़ न खाकर
उल्टा तुझे ही ख़ौफ़ दूँ....
मैं वो पागल नही जो तुझसे हार मानकर
मौत को अपनी जान मुफ्त मे सौंप दूँ....
चल लूँगा चाहे कछुए की चाल
पर रुकूँगा नही.....
फिर सुन ले ए जिंदगी
तुझसे हार कर मौत के आगे झुकूँगा नही....
By-Ravi jangid {9694943129}
Kavi mr ravi
plz share it as much as you can
Thanks
इम्तिहान--
लेले ए जिंदगी
तू जितने इम्तिहान लेगी...
सह लूंगा दर्द सारे
कभी तो खुशियों के पल देगी..
तू गिरा ही सकती है
तो गिरा ले मुझे बार- बार...
मैं उठूंगा लड़खड़ाकर चाहें चलूंगा
पर पहुंच जाऊँगा अपने द्वार...
तू दूर कर सकती है मुझसे
मेरे अपनो को और मेरे घोंसले को....
तू तोड़ सकती है मुझे
पर हिम्मत नही तोड़ सके मेरे होंसले को. .
ए जिंदगी तू सोचती है की
मैं साबुन के बुलबुले की तरह फट जाऊंगा..
मैं वो बुजदिल नही जो तुझसे हार मानकर
ट्रेन के नीचे आकर कट जाऊंगा...
तू बरपा जितना बरपा सकती है मुझ पर कहर...
मैं नही टूट सकता इतना के खाके मर जाऊँ जहर...
मैं वो कागज का टुकड़ा नही जो
पानी मे भीग कर गल जाँऊ....
कभी टूटूंगा नही इतना के
तेल छिड़कर जल जाऊँ......
पंगा लेना नही ए जिंदगी दोबारा
मुझसे भूल कर....
मैं इतना कमजोर नही की
मर जाऊँ फांसी के फंदे पर झूलकर...
मौत मुझे अपना बना ले
ये मेरे हाथ की बात नही....
पर तु मुझे मौत के आगे झुका दे
ए जिंदगी ये तेरी औकात नही...
मैं वो हूँ जो तुझसे ख़ौफ़ न खाकर
उल्टा तुझे ही ख़ौफ़ दूँ....
मैं वो पागल नही जो तुझसे हार मानकर
मौत को अपनी जान मुफ्त मे सौंप दूँ....
चल लूँगा चाहे कछुए की चाल
पर रुकूँगा नही.....
फिर सुन ले ए जिंदगी
तुझसे हार कर मौत के आगे झुकूँगा नही....
By-Ravi jangid {9694943129}
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