अंकल पन्नी है क्या? हास्य कविता by -RAVI JANGID

ये बात है जब मैं था 5 साल का बच्चा....
घूमता था पहन के बनियान ओर कच्छा....

एक अंकल मुझे पास बुलाकर बोले...
सामने वाले अंकल से पन्नी मांगो जाकर हौले हौले...


मैं छोटी सी जान ....
था हर बात से अनजान...

सब कुछ छोड़कर ....
मैं पंहुचा अंकल के पास दौड़कर...

देख के मुझे अंकल बोले बेटा
 आइये.....
बोल उठे अंकल तुम्हे क्या 
 चाहिए....

जो भी है अपने मन मे वो कह दो...
मैं बोला अंकल मुझे पन्नी दे दो....

ये सुन अंकल हो गए लाल पीले.....
डर के मारे कपड़े होने वाले थे मेरे गीले....

अंकल का खून मुझे मारने को खौला.....
हिम्मत करके मैं उनसे बोला....

अरे अंकल इतनी सी चीज मांगने पर आप क्यों बन रहे हो सन्नी....
अंकल चिल्लाते हुए बोले अबे मेरी लुगाई का नाम है पन्नी...

मैं हंसते हुए भागा एक मिनट भी नही ठहरा....
वाकई अंकल का दर्द था बड़ा ही गहरा....

By -Ravi jangid




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