By-kavi mr Ravi
🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅
~आकर पवन देव मुझसे आज बोला है
ए ! स्वार्थी मनुष्य क्यों तूने मुझमे जहर घोला है...
ये तेरा कुकर्म बहुत बड़ा है तू मानता इसे छोटा है
तूने खुद ने ही अपने प्राणों का गला घोंटा है.....
🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅
~करके हवा ,पानी और धरती को गंदा
ऐ !मूर्ख मनुष्य
तू तैयार कर रहा है अपने गले का फंदा....
🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅
~घोल दिया तूने जहर पर्यावरण के रग -रग में
मुँह दिखाने लायक नही रहेगा तू इस जग में...
गर्म हुई धरती,जहर हुई वायु ,नष्ट हुई ओजोन
बता मुर्ख मनुष्य इसका जिमेदार है कौन....
🙅 🙅 🙅 🙅 🙅 🙅 🙅 🙅 🙅 🙅 🙅
ईश्वर ने जो पेड़ रूपी उपहार तुझे बांटा है
अपने ही हाथों से तूने उसे काटा है....
अपने स्वार्थ के लिए तूने पर्यावरण से नज़र है हटाई
और कर रहा है तू पेड़ों की धड़ल्ले से कटाई ....
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
सम्भल जा तू वरना बुरा होगा वक्त आने वाला
जिस हवा का रंग नही उसका भी रंग होगा काला...
क्रोधित सूर्य भी उगलेगा इस धरा पर ज्वाला
तबाही होगी बस चाहे कितनी ही जप लेना माला...
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
तपेगी धरती और सूर्य भी आग बरसेगा
वो दिन दूर नही जब तू बून्द बून्द को तरसेगा...
कभी हरयाली होती थी वह भूमि भी होगी बंजर
शांत था जो उफान मारेगा वो समंदर...
हाहाकार होगा सब जगह
और होगा बस तबाही का मंजर ...
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
By~ravi jangid
आप लोग इन उद्धरणों को निबंध में प्रयोग करके
निबंध को प्रभावशाली बना सकते हैं
Thanks
प्तयो
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~आकर पवन देव मुझसे आज बोला है
ए ! स्वार्थी मनुष्य क्यों तूने मुझमे जहर घोला है...
ये तेरा कुकर्म बहुत बड़ा है तू मानता इसे छोटा है
तूने खुद ने ही अपने प्राणों का गला घोंटा है.....
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~करके हवा ,पानी और धरती को गंदा
ऐ !मूर्ख मनुष्य
तू तैयार कर रहा है अपने गले का फंदा....
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~घोल दिया तूने जहर पर्यावरण के रग -रग में
मुँह दिखाने लायक नही रहेगा तू इस जग में...
गर्म हुई धरती,जहर हुई वायु ,नष्ट हुई ओजोन
बता मुर्ख मनुष्य इसका जिमेदार है कौन....
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ईश्वर ने जो पेड़ रूपी उपहार तुझे बांटा है
अपने ही हाथों से तूने उसे काटा है....
अपने स्वार्थ के लिए तूने पर्यावरण से नज़र है हटाई
और कर रहा है तू पेड़ों की धड़ल्ले से कटाई ....
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सम्भल जा तू वरना बुरा होगा वक्त आने वाला
जिस हवा का रंग नही उसका भी रंग होगा काला...
क्रोधित सूर्य भी उगलेगा इस धरा पर ज्वाला
तबाही होगी बस चाहे कितनी ही जप लेना माला...
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तपेगी धरती और सूर्य भी आग बरसेगा
वो दिन दूर नही जब तू बून्द बून्द को तरसेगा...
कभी हरयाली होती थी वह भूमि भी होगी बंजर
शांत था जो उफान मारेगा वो समंदर...
हाहाकार होगा सब जगह
और होगा बस तबाही का मंजर ...
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By~ravi jangid
आप लोग इन उद्धरणों को निबंध में प्रयोग करके
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Thanks
प्तयो
Nice
ReplyDeleteHimanshu
Nikita
Teena