बुढिया की व्यथा हास्य कविता

बुढिया की व्यथा हास्य कविता-:

बता रहा हूँ आपको एक बुढ़िया की व्यथा...
एक बार सत्संग में सुन रही थी वो कथा...

बाबा कुछ बोल रहे थे ...
लोगो का भविष्य खोल रहे थे...

"जो कंगाल है इस जन्म
अगले जन्म उसके पास घर होगा...
लेकिन जो नर है इस जन्म
वो अगले जन्म भी नर होगा..."

"जो तरस रहा है दौलत को
अगले जन्म उसके पास दौलत भारी होगी ...
लेकिन जो नारी है इस जन्म
वो अगले जन्म भी नारी होगी..."

ये सुनते ही बुढ़िया को आई हिचकी ...
तुरन्त उसके दिमाग की सुई खिसकी...

आग बबूला होकर वो जाने को हुई खडी...
तभी बोले संत अचानक क्यों आपको जाने की आवश्यकता पड़ी...

बुढ़िया ने मोटी मोटी आँखे खोली..
और चिल्लाते हुए बोली...
"भगवान ने बनाया है ये कैसा कायदा...
जब अगले जन्म भी रोटियां ही सेकनी हैं
तो सत्संग सुनने से क्या फायदा..."

By-Ravi jangid
9694943129



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