मेरा प्यार कुछ ऐसा है


तू मुझे रुलाना नही चाहती
तो फिर रुलाती क्यूं है?
तू मुझसे नफरत करती है
तो फिर बाहों में सुलाती क्यूं है?
तू मुझसे दूर जाना चाहती है
तो फिर सपनो में आती क्यूं है?
तुझे जब फिक्र ही नही मेरी
तो फिर प्यार जताती क्यूं है?
तू भूला देना चाहती है मुझे
तो फिर मेरे बारे में सोचती क्यूं है?
तुझे नही मेरी खेरियत
तो फिर मेरे आँसु पोंछती क्यूं है?
जब मैं नही तेरे दिल मे
तो मेरी इतनी फिक्र क्यूं है?
मेरे नाम से है नफरत  इतनी
तो जुबां पर मेरा जिक्र क्यूं है?


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